भूखा
मैले कुचले कपड़ो में
फटी पुरानी चप्पल में
तपते लोहे के भांति चमकते
सूरज की छाँव में
सरकता जा रहा था
दो जून की रोटी का हिसाब
भी न कर पा रहा था
माँ ने 10 रुपये का नोट दिया था
कहा जा कुछ खा आना
अपनी बहनो के लिए भी कुछ ले आना
दुकान पहुंच के बोला भाई ३ समोसे दे दे
दुकान वाला बोला 15 रुापये दे दे मेरे भाई
में सहमा , दुबका शर्म से बोला
मेरे पास सिर्फ 10 का नोट है मालिक
जरा 3 समोसे दे दो
भाग यहाँ से भंगी कहीं के
कह के , दुत्कार के मुह फेर लिया उसने अपना।
जा बैठा थोड़ी दूर में
लगा सोचने करू क्या
की एक कुलीन वर्ग की महिला आई
और २ समोसे दे बैठी अपने चाँद के टुकड़े को
फेंक दिए उसने वो अधखाये टुकड़े
पास पड़े कचरे में
दौड़ के पंहुचा में और उठा लिए
कुलबुलाते हुए मुह में डाल लिए
ख़ुशी का पल नसीब हो गया था
बहनो के समोसों का जुगाड़ हो गया था !
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