Friday, May 30, 2014

                                 मैला कुचेला  डॉक्टर

शाम हो आई थी रोज की तरह बालकनी में खड़ा हो कर डूबते सूरज को निहार रहा था की अचानक एक आवाज़ ने ध्यान भंग कर दिया। एक मैला कुचेला  बच्चा तकरीबन  10 -12 साल का आवाज  दे रहा था
"
अंकल अंकल आपकी छत पर पतंग पड़ी है क्या में ले लू ?"
"
हाँ ले लो "
ख़ुशी ख़ुशी वो छत पर दौड़ गया आते समय मैंने उससे पूछा ? "क्यों रे पढाई  नहीं करनी ?"
"
नहीं"
क्यों?
मास्टरजी ने स्कूल  से  निकाल  दिया
ऐसे कैसे?
पैसे नहीं है फीस के
पिताजी क्या करते है ?
शराब पीते है
और माँ ?
वो घरो में खाना पकाती  है
तो पैसे मिलते होंगे ?
हाँ मिलते थे लेकिन कल बापू ने माँ को बहुत मारा माँ पैसे नहीं दे रही थी बापू को
अभी माँ हॉस्पिटल में भर्ती  है
में स्तब्ध था  बड़ा हो कर क्या बनेगा तू ?
डॉक्टर बनूँगा सुना है बहुत  पैसे  होते है उनके पास घर गाडी बंगला सब
मुझे भी ऐसा ही करना है।
मैंने कुछ रुपये निकाले और उसे दिए
"
जा जमा  करा दे फीस। "
उसने पैसे लिए और पतंग ले कर चल दिया धुंधलका  छा  रहा था टीवी पर किसी फिल्म पर रोक लगाने की खबर रही थी !
में  दबे कदमो से अन्दर चला गया

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